मानव जीवन का सत्य: क्या सच में साथ जाता है धन, यश या सिर्फ कर्म?

जीवन का उद्देश्य : सचेत हो जाओ! यह जीवन एक अवसर है, इसे व्यर्थ मत जाने दो

जब तक शरीर तंदुरुस्त है, जब तक साँसें चल रही हैं, जब तक नाम, पैसा, पद और प्रतिष्ठा है — लोग पूछते हैं, सम्मान करते हैं, सराहना करते हैं। लेकिन जैसे ही शरीर ने साथ छोड़ा, जैसे ही प्राण निकले — सब कुछ समाप्त।

जीवन का उद्देश्य, अकेला व्यक्ति श्मशान की ओर जाता हुआ, जीवन की नश्वरता को दर्शाता चित्र
जो आया है, वह जाएगा — साथ सिर्फ कर्म जाएंगे, धन नहीं।

तब न पद काम आता है, न पैसा, न परिवार, और न ही यश।

लोग भगवान का नाम नहीं लेते — तो सोचिए, वे आपका नाम क्या लेंगे?
आपके जाने के बाद साथ क्या जाएगा?
न बैंक बैलेंस,
न बंगला,
न परिवार,
न रिश्तेदार।

जैसे लाखों की भीड़ वाले मेले में एक हँसता-खिलखिलाता व्यक्ति आता है और समय पूरा होते ही अकेला चला जाता है, ठीक वैसे ही मनुष्य इस संसार में आता भी अकेला है, और जाता भी अकेला है।
जो कुछ भोगना है, उसे अकेले ही भोगना पड़ता है — चाहे वो सुख हो या दुख, पुण्य हो या पाप।

क्या साथ जाएगा?

सिर्फ और सिर्फ कर्म
जो अच्छे कर्म हैं, वो साथ जाएँगे और अगली योनियों में शुभ फल देंगे।
जो बुरे कर्म हैं, वो अगली योनियों में दुर्गति और पीड़ा देंगे।
इसलिए समझदारी यही है कि जो पुराने पाप हैं, उन्हें हँसते हुए भोग लो और आगे से नया पाप मत करो।

जीवन एक खेत है, विचार बीज हैं, कर्म उसकी फसल है

परमात्मा ने तुम्हें एक अनमोल मानव शरीर रूपी भूमि दी है
तुम्हें बीज भी दे दिया — यानी बुद्धि और विवेक।
अब तुम इसमें क्या बोते हो, ये तुम्हारे ऊपर है।

यदि तुम गन्ना बोओगे, तो मीठा रस पाओगे।
और यदि बबूल बोओगे, तो सिर्फ कांटे मिलेंगे।

फिर दोष भगवान को क्यों?
जब तुमने ही गलत बीज बोए,
तो फसल भी उसी के अनुसार होगी
इसलिए हर सोच, हर कर्म, हर आचरण बहुत सोच-समझकर करो।

मनमानी छोड़ो, संयम अपनाओ

आज इंसान मनमानी आचरण कर रहा है —
पाप कर रहा है, स्वार्थ से भरा हुआ जीवन जी रहा है,
और फिर भगवान को दोष देता है कि मेरे जीवन में सुख क्यों नहीं?

अरे भाई!
परमात्मा ने तो तुम्हें सब कुछ दिया है — शरीर, बुद्धि, ज्ञान, विकल्प।
अब तुम क्या करते हो अपने संसाधनों का, यह तुम्हारी जिम्मेदारी है।

  • तुम्हारी सांसें चल रही हैं — क्या तुम उनका सदुपयोग कर रहे हो?

  • तुम्हारी बुद्धि है — क्या तुम उसे सच्चाई के मार्ग में लगा रहे हो?

  • तुम्हें वक्त मिला है — क्या तुम उसे आत्म-साक्षात्कार में लगा रहे हो?

जो करोगे, वही पाओगे

यदि तुमने पुण्य किए —
तो जीवन में सुख, संतोष और आत्मिक आनंद मिलेगा।
और यदि तुमने पाप किए —
तो कष्ट, बीमारी, अपमान और अंत में पछतावा ही हाथ लगेगा।

इसलिए अभी भी समय है —
होश में आओ, आत्मचिंतन करो,
अपने जीवन को सत्कर्मों से सजाओ।

जीवन को जानो, समय को पहचानो

इस जीवन को खेल मत समझो।
यह एक मूल्यवान अवसर है —
जहाँ तुम अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हो।

पल-पल को ध्यान से जियो,
हर विचार को पवित्रता से सोचो,
हर कर्म को धर्म और विवेक के आधार पर करो।

फिर देखना,
तुम्हारा जीवन केवल बाहरी सफलता से नहीं,
बल्कि भीतर से भी चमक उठेगा।

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