जहाँ सीता ने राम के साथ वनवास स्वीकार किया और सावित्री ने यमराज से सत्यवान के प्राणों की रक्षा की, आज के विवाह विश्वासघात के बोझ तले दरक रहे हैं। ‘पतिव्रता धर्म’ की अवधारणा को अप्रासंगिक बताया जा रहा है, जबकि तलाक की अदालतें विवाहेतर संबंधों से उपजे मामलों से भरी पड़ी हैं।

प्राचीन ज्ञान:
हमारे शास्त्रों ने विश्वासघात के परिणामों के बारे में स्पष्ट चेतावनी दी है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो अपने विवाह व्रतों को तोड़ते हैं, उन्हें 84 लाख जन्मों तक नरक की यातनाएँ भोगनी पड़ती हैं। आधुनिक मनोविज्ञान भी इसकी पुष्टि करता है – अध्ययनों से पता चलता है कि विश्वासघात के कारण टूटे परिवारों के बच्चों में अवसाद की संभावना 300% अधिक होती है।
आधुनिक वास्तविकता:
बैंगलोर की 28 वर्षीया रिया (नाम बदला हुआ) ने अपने पति के विवाहेतर संबंध का पता तब चला जब उनकी शादी को महज छह महीने हुए थे। “उन्होंने कहा कि मेरी सोच बहुत ‘पारंपरिक’ है,” वह बताती हैं। वहीं, दिल्ली के अर्जुन ने अपनी पत्नी को जिम ट्रेनर के साथ अनुचित संबंधों में पाए जाने पर तलाक दे दिया। “हमारी लव मैरिज हुई थी, लेकिन उसने दावा किया कि उसे ‘अधिक रोमांच’ चाहिए,” वे बताते हैं।
समाधान मार्ग:
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धर्म से फिर से जुड़ें: विवाह व्रतों पर दैनिक 10 मिनट का युगल ध्यान
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डिजिटल डिटॉक्स: रात 8 बजे के बाद विपरीत लिंग के साथ निजी संदेश न भेजें
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सत्संग: आध्यात्मिक सलाहकारों से मासिक परामर्श
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रीति-रिवाजों को फिर से खोजें: लक्ष्मी-नारायण पर केंद्रित साप्ताहिक संयुक्त पूजा
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पेशेवर सहायता: निर्णयात्मक विवाह परामर्श
Checklist for Marital Purity:
✅ [ ] Perform daily ‘Sankalpa’ (संकल्प) to honor wedding vows
✅ [ ] Install accountability apps like ‘Satsang’ for digital transparency
✅ [ ] Attend monthly ‘Dharma Sabha’ (धर्म सभा) for couples
✅ [ ] Fast together on Ekadashi for spiritual cleansing
✅ [ ] Create a ‘Pavitra Kosh’ (पवित्र कोष) – joint spiritual journal
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