सच्चे मित्र कौन? – अच्छे आचरण की रक्षा और कुसंग से दूरी क्यों ज़रूरी है?

सच्चे मित्र और अच्छे आचरण का महत्व

सच्चे मित्र अच्छे आचरण की ओर प्रेरित करते हैं
सच्ची मित्रता का अर्थ — साथ में उठना, गिराना नहीं

मनुष्य के जीवन में संगति और मित्रों का विशेष महत्व होता है। हमारे आचरण, विचार और भावनाएं बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती हैं कि हम किन लोगों की संगति में समय बिता रहे हैं।

आपने सही कहा — “मित्र वही है जो कुमार से हटाकर ‘सु’ में लगावे।” अर्थात, जो बुराई से हटाकर अच्छे मार्ग की ओर ले जाए, वही सच्चा मित्र है। यदि कोई मित्र हमारे जीवन में गलत आदतें और आचरण लाने का कारण बनता है, तो वह मित्र नहीं, एक मानसिक विष है।

जब संगति बदलती है, तो मन भी बदलता है

बहुत से लोग सत्संग सुनकर शराब, जुआ, और अन्य बुरी आदतें छोड़ देते हैं, परंतु जब वे फिर से उन्हीं पुराने मित्रों की संगति में जाते हैं, तो पुनः उन्हीं बुरे मार्गों की ओर खिंच जाते हैं। यह बात सिद्ध करती है कि संगति का प्रभाव गहरा होता है।

“कुसंग से किसकी बुद्धि नष्ट नहीं होती?” — यह प्रश्न नहीं, एक चेतावनी है। अगर हम अपने आचरण को अच्छा बनाए रखना चाहते हैं, तो आवश्यक है कि हम उन मित्रों का साथ छोड़ें, जो हमें गिराने का कार्य करते हैं।

सच्ची मित्रता की परिभाषा

यदि आपके मित्र वास्तव में आपसे प्यार करते हैं, तो वे आपकी अच्छाइयों को अपनाएंगे। आप उन्हें समझाइए, प्रेमपूर्वक, आदरपूर्वक कहिए कि वे अपने आचरण को सुधारें। यदि वे नहीं सुनते, तो निस्संकोच उस संगति से स्वयं को अलग कर लीजिए।

सच्ची मित्रता का अर्थ यह नहीं कि हम किसी के साथ बंधे रहें चाहे वह हमें नष्ट कर दे, बल्कि इसका अर्थ है एक-दूसरे को ऊपर उठाना, नैतिकता की ओर ले जाना।

अच्छे आचरण की रक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है

आपका स्वयं का अच्छा आचरण सबसे कीमती पूंजी है। अगर आप गलत संगति में रहे, तो धीरे-धीरे आपके नैतिक मूल्य भी क्षीण हो जाएंगे और एक दिन आप भी उन्हीं में से एक बन जाएंगे।

संगति का रंग चढ़ता है। इसलिए जीवन में सदैव सजग रहिए — अच्छे लोगों की संगति कीजिए, सत्संग सुनिए, और अपने भीतर के शुभ संस्कारों को जीवित रखिए।

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