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शराब क्यों न पिएं? – एक विनाशकारी आदत और उसका आध्यात्मिक विकल्प

शराब के नुकसान: एक आदत जो शरीर, बुद्धि और सम्मान को नष्ट कर देती है

आज के समय में बहुत से लोग तनाव, दुःख या मौज-मस्ती के नाम पर शराब का सेवन करते हैं। पर क्या कभी आपने ठहरकर सोचा है — शराब पीकर आखिर हासिल क्या होता है?

शराब देती है क्षणिक राहत, लेकिन करती है स्थायी हानि

कहते हैं — “थोड़ी-सी पी ली, ग़म मिटाने के लिए।”
तो क्या ग़म मिटाने के लिए शराब जरूरी है? भगवान का नाम लो, कीर्तन सुनो, सत्संग में बैठो — तुम्हारा मन भी शांत होगा और दुख भी दूर हो जाएगा। पर लोग ऐसा नहीं करते, और नतीजा? शरीर, मन, धन और मान — सबका नाश।

झूठा सुकून, लेकिन असली विनाश

शराब पीने वाले सोचते हैं कि उन्हें थोड़ी राहत मिल रही है, लेकिन यह सिर्फ क्षणिक भ्रम है। असल में:

वास्तविक उदाहरण

एक आदमी ने शराब पी रखी थी। इतना असंतुलित हो गया कि साइकिल चलाते हुए एक छोटी-सी नाली भी पार नहीं कर सका और खुद ही गिर पड़ा। अब सोचिए, जो चीज़ आपको अपनी साइकिल तक ठीक से नहीं चला पाने दे — क्या उसमें कोई ताक़त है?

यह आदत धीरे-धीरे शक्ति नहीं, कमजोरी पैदा करती है।

विकल्प क्या है?

जब दुःख हो तो भगवान का नाम लो, सत्संग सुनो, भक्ति में मन लगाओ। यह आपके:

सोचिए — शराब ने आज तक आपको क्या दिया है?
सिर्फ पछतावा, बीमारी, कर्ज और अपमान?

अब निर्णय आपका है। शराब छोड़िए, जीवन बचाइए।

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