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धर्म का मार्ग: काँटों पर चलना कठिन क्यों लगता है (पर अंत में विजय सच्चाई की ही होती है)

दो रास्तों का भ्रम

आज के युग में, सत्य और धर्म का मार्ग कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है:
🌹 फूलों जैसा – उनके लिए जो छल-कपट से सुख पाते हैं (क्षणिक सुख)
🌵 काँटों जैसा – उनके लिए जो धर्म पर चलते हैं (क्षणिक संघर्ष)

लेकिन शास्त्रों का वचन है: “जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।”

दो रास्ते: ‘धर्म’ लिखा काँटों भरा मार्ग और ‘अधर्म’ लिखा फूलों से सजा मार्ग

धर्म का मार्ग कठिन क्यों लगता है?

1. अधर्म का छलावा

2. धर्म की अदृश्य ढाल

“धर्म एक कठोर माँ की तरह है—उसकी डाँट आज कष्ट देती है, पर कल जीवन बचाती है।”

शास्त्रों से 3 सत्य

1️⃣ क्षणिक कष्ट, शाश्वत लाभ

2️⃣ अधर्म के ‘फूल’ विषैले होते हैं

3️⃣ आपका संघर्ष पीढ़ियों को प्रेरित करेगा

काँटों भरे मार्ग पर कैसे चलें?

✔ कष्टों को नया अर्थ दें: हर परीक्षा आपके संकल्प को मजबूत करती है।
✔ सत्संग की शरण लें: उनके साथ चलें जो इसी मार्ग पर हैं (साधु-संग, नैतिक कार्यस्थल)।
✔ अंतिम लक्ष्य याद रखें: धर्म के ‘काँटे’ उस मुक्ति की ओर ले जाते हैं, जो अधर्म कभी नहीं दे सकता।

“हीरा दबाव में बनता है। धर्मी आत्मा भी।”

अंतिम विजय

इतिहास साक्षी है:

अब आपकी बारी: क्या चुनेंगे—झूठ के क्षणिक फूल या सत्य का शाश्वत उपवन?

 

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