दो रास्तों का भ्रम
आज के युग में, सत्य और धर्म का मार्ग कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है:
🌹 फूलों जैसा – उनके लिए जो छल-कपट से सुख पाते हैं (क्षणिक सुख)
🌵 काँटों जैसा – उनके लिए जो धर्म पर चलते हैं (क्षणिक संघर्ष)
लेकिन शास्त्रों का वचन है: “जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।”

धर्म का मार्ग कठिन क्यों लगता है?
1. अधर्म का छलावा
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अधर्मी (अनैतिक लोग) क्षणभर के लिए सुखी दिखते हैं—धन, शक्ति और सफलता का प्रदर्शन करते हुए।
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उदाहरण: भ्रष्ट नेता विलासिता में डूबे रहते हैं, जबकि ईमानदार अधिकारी तबादलों का सामना करते हैं।
2. धर्म की अदृश्य ढाल
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धर्म संघर्षों को रोक नहीं सकता, पर यह देता है:
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अंतर्बल (जैसे महाभारत में भीष्म पितामह का धैर्य)
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अंतिम विजय (जैसे श्रीराम का वनवास के बाद राज्याभिषेक)
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“धर्म एक कठोर माँ की तरह है—उसकी डाँट आज कष्ट देती है, पर कल जीवन बचाती है।”
शास्त्रों से 3 सत्य
1️⃣ क्षणिक कष्ट, शाश्वत लाभ
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प्रह्लाद को यातनाएँ मिलीं, पर वे भक्ति में अमर हो गए।
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आज का उदाहरण: ईमानदार कर्मचारियों को प्रोन्नति देर से मिलती है, पर नींद शांति से आती है।
2️⃣ अधर्म के ‘फूल’ विषैले होते हैं
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रावण की सोने की लंका राख में बदल गई।
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आज: घोटालों की दौलत कुछ समय तक ही टिकती है—जेल की सलाखें इंतज़ार कर रही होती हैं।
3️⃣ आपका संघर्ष पीढ़ियों को प्रेरित करेगा
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गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान सिख धर्म की रक्षा कर गया।
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आज: व्हिसलब्लोअर्स को कष्ट सहने पड़ते हैं, पर वे करोड़ों के लिए कानून बदल देते हैं।
काँटों भरे मार्ग पर कैसे चलें?
✔ कष्टों को नया अर्थ दें: हर परीक्षा आपके संकल्प को मजबूत करती है।
✔ सत्संग की शरण लें: उनके साथ चलें जो इसी मार्ग पर हैं (साधु-संग, नैतिक कार्यस्थल)।
✔ अंतिम लक्ष्य याद रखें: धर्म के ‘काँटे’ उस मुक्ति की ओर ले जाते हैं, जो अधर्म कभी नहीं दे सकता।
“हीरा दबाव में बनता है। धर्मी आत्मा भी।”
अंतिम विजय
इतिहास साक्षी है:
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हिटलर का अधर्म 12 वर्षों में धराशायी हो गया।
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गाँधी जी का धर्म एक स्वतंत्र भारत का निर्माण कर गया।
अब आपकी बारी: क्या चुनेंगे—झूठ के क्षणिक फूल या सत्य का शाश्वत उपवन?
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